शेर अली आफरीदी: वह भारतीय हीरो जिनकी बहादुरी और देशभक्ति पर होता है नाज़

शेर अली आफरीदी की कहानी बहुत हैरान करने वाली है। उनकी जिंदगी के बारे में जानने के बाद अलग अलग भावनाएं पैदा होती हैं। शेर अली अखंड भारत और वर्तमान पाकिस्तान में स्तिथ  खैबर पख्तूनख्वा के तेरह गांवों के रहने वाले…

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अल्पसंख्यकों के सपने को साकार करने की योजना, प्री और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप, तफसील यहाँ पढ़ें

(डॉ शुजात अली कादरी) प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप अल्पसंख्यक समुदाय के कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों को दी जाती है। इसके लिए जरूरी है कि छात्र मान्यता प्राप्त संस्थानों/निजी स्कूलों और सरकारी स्कूलों में पढ़ रहा हो। छात्र के माता-पिता/अभिभावक की वार्षिक आय एक लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। साथ ही छात्र ने पिछली परीक्षा में 50% अंक प्राप्त किए हों। इस योजना के तहत छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्रों को इसी तरह की किसी अन्य योजना के तहत छात्रवृत्ति प्राप्त करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 6वीं से 10वीं कक्षा तक पढ़ने वाले छात्रावास और गैर छात्रावास के छात्र। उन्हें प्रति वर्ष 500 रुपये मिलेंगे। आवासीय और गैर आवासीय छात्रों को भी ट्यूशन फीस के लिए प्रति वर्ष 500 रुपये मिलेंगे। पहली कक्षा के आवासीय छात्रों को दस महीने की अवधि के लिए प्रति माह 600 रुपये मिलेंगे। गैर-छात्रावास निवासियों के लिए 100 रुपये प्रति माह निर्धारित किया गया है। वहीँ छठी से दसवीं कक्षा के छात्रों को मेंटेनेंस के लिए हर महीने 600 रूपये दिया जाएगा। सरकार द्वारा छात्रों को जो भी छात्रवृत्ति आवंटित की जाती है। इनमें से 30% लड़कियों के लिए निर्धारित हैं। पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनान्तर्गत स्वीकृत निजी विद्यालयों एवं शासकीय विद्यालयों/संस्थानों में 11वीं एवं 12वीं कक्षा में पढ़ रहे  विद्यार्थी छात्रवृत्ति के पात्र होंगे। (इसमें राष्ट्रीय स्तर के औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों से 11वीं और 12वीं कक्षा के व्यावसायिक और तकनीकी पाठ्यक्रम शामिल हैं) छात्र के माता-पिता/अभिभावक की वार्षिक आय 2 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। छात्रवृत्ति उन्हें दी जाएगी जिन्होंने पिछली परीक्षा में 50% अंक प्राप्त किए हैं। इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने वाले…

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उईगर : चीनी ज़ुल्म से आहत पूरी जनजाति

उईगर मुसलमानों के बारे में बाक़ी मुस्लिम जगत में सबसे कम बात होती है। जबकि चीनी ज़ुल्म के शिकार इस समूह के अधिकांश लोग चीन अधिकृत ईस्ट तुर्किस्तान यानी शिनज़ियांग में बेहद परेशान हैं। चीन के सांस्कृतिक संहार की ख़बरें…

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मंगलुरु का पावूर गांव: शांतिपूर्ण, सांप्रदायिक सद्भाव का खिलता हुआ चमन

भारतीय मीडिया में मुस्लिम विरोधी और इस्लाम विरोधी बयानों के दौर में, मंगलुरु जिला में ‘पावूर’ नामक एक छोटा सा गाँव है जिसने देश में सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल कायम की है। इस गांव में हिंदू, मुस्लिम और ईसाई रहते…

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Muslim Manifesto: देश के मुसलमान भविष्य को सवांरने के लिए उठ खड़े हों

भारत में मुसलमानों को बेदार होने का समय आ गया है आज मुसलमानों की हालत यह है कि वह खौफ और डर की जिंदगी गुज़ार रहे हैं। उनकी तरक्की दूसरी कौमों की तुलना में न के बराबर रह गई है।…

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